भोपाल । नव निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ के जीवन में 13 दिसंबर को तारीख बहुत ही महत्वपूर्ण है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि आज मध्य प्रदेश का वह दिन है जिस दिन मप्र के छिंदवाड़ा में कमलनाथ जी को इंदिरा गांधी जी ने 13 दिसंबर 1980 में कमलनाथ जी को तीसरे पुत्र के रूप में छिंदवाड़ा की जनता को सौंपा था। आज मध्य प्रदेश की जनता ने 13 दिसंबर 2018 मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। मध्यप्रदेश के निवनिर्वाचित मुख्यमंत्री व प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ का जन्म मूलत: कानपुर में 18 नवंबर 1946 को हुआ था। दून स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज जैवियर से शिक्षा हासिल करने वाले कमलनाथ लोकसभा में 1979 से अब तक मप्र के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पहला लोकसभा चुनाव 34 वर्ष की उम्र में छिंदवाड़ा से लड़ा था। वे वहां से दस बार के सांसद है। वे 1991 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने। हवाला कांड में नाम आने के बाद 1996 का चुनाव नहीं लड़ पाए। उस समय उनकी पत्नी अलका नाथ ने चुनाव लड़ा था। एक साल बाद कांड के आरोपों से बरी होकर आए तो कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से फिर चुनाव लड़ा, लेकिन सुंदरलाल पटवा से हार गए थे। कांग्रेस और उसके बाद के दिनों में गठबंधन वाली वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य रहे हैं। वैसे उनका राजनीतिक कैरियर 1968 से युवक कांग्रेस से शुरू हुआ था। इसके बाद से संगठन में कई अहम पदों पर रहे। मप्र के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें इसी साल अप्रैल में प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थीं। अपने छह महीने के कार्यकाल में उन्होंने संगठन में कसावट और जमावट कर कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार किया। उनके कुशल प्रबंधन के कारण मप्र में कांग्रेस का 15 साल का सत्ता का वनवास खत्म हुआ।
कमलनाथ और सिंधिया समर्थक कई बार आए आमनेसामने
भोपाल। गुटबाजी के लिए बदनाम रही कांग्रेस के लिए नई सरकार के गठन से पहले सबको साधना बड़ी चुनौती बन गई हैं। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर दिनभर संशय बरकरार रहा। दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर हुई बैठक बाद ज्योतिरिादित्य सिंधिया ने कहा कि नेता का चयन भोपाल में किया जाएगा, वहीं कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों ने पीसीसी के बाहर हंगामा कर दिया। सुबह से ही यहां समर्थकों का जमावड़ा लगा रहा, लेकिन चार बजते ही पीसीसी में भारी हंगामे की स्थिति बन गई और दोनों नेताओं के समर्थक हाथ में बैनर, पोस्टर लेकर अपने-अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी करते रहे। समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी थी। दोनों नेताओं के समर्थर्कों में के बीच बार-बार झूमाझटकी की स्थिति भी बनी रही। बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता और प्रवक्ता भी सामने आए,लेकिन समर्थर्कों को रोकना मुश्किल रहा, जब तक नाम का ऐलान नहीं हो जाता स्थिति हंगामेदार चलती रही। ऐलान के बाद यह समर्थक क्या करेंगे यह भी बड़ा सवाल है। जाहिर है कि दोनों ही नेताओं के समर्थक अपने नेता को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। दिग्विजय के लिए दिल्ली से फोन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पीसीसी से जब अजय सिंह के घर जा रहे थे, तब रास्ते में कमलनाथ का फोन दिल्ली से उनके पास आया , दिग्गी ने इस फोन पर 15 मिनट तक चर्चा की।