भोपाल । सूबे की सरकार के करवट लेते ही अब उन अफसरों ने अपने अच्छे दिन की उम्मीद लगाना शुरु कर दी है, जोकि एक लंबे अर्से से मैदानी पदस्थापना से वंचित होकर बटालियन या मुख्यालय में वनवास गुजारने को मजबूर थे। दरअसल, इन पुलिस अफसरों को भाजपा सरकार में मैदानी पदस्थापनाआें से कांग्रेसी नेताआें से करीबियों या रिश्तेदारी के चलते या अन्य किसी वजहों से मेहरूम कर रखा था। अब वक्त के बदलाव में यह अफसर अपने अच्छे दिनों की उम्मीद लगा रहे हैं।
संदीप भूरिया : सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। भाजपा सरकार में उन्हें प्रदेश की राजधानी भोपाल के क्राइम ब्रांच का डीएसपी बनाया गया था। ये वर्तमान में एडिशनल एसपी हैं।
हितेश चौधरी: राजधानी में एएसपी रह चुके आईपीएस हितेश चौधरी प्रदेश यूथ कांग्रेसाध्यक्ष व विधायक कुनाल चौधरी के छोटे भाई हैं, जोकि नए शहर के जोन 2 अधीनस्थ एमपी नगर संभाग, गोविंदपुरा और मिसरोद संभाग के एडिशनल रह चुके हैं। वर्तमान में वे बालाघाट स्थित 36 वीं वाहिनी में कंमाडेंट हैं।
मोनिका शुक्ला: आईपीएस मोनिका शुक्ला सुरेश पचौरी के परिवार से ताल्लुकात रखती हैं। वे क्राइम ब्रांच एडिशनल, एसआरपी रेल और इंदौर एसपी रही है। वर्तमान में वे 25 वी वाहिनी में कंमाडेंट हैं।
सलिल शर्मा : निरीक्षक सलिल शर्मा भी पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी के करीबी रिश्तेदार बताए जाते हैं। भाजपा सरकार में उन्हें बेहतर कार्यों के लिए आउट आॅफ टर्न देकर निरीक्षक बनाया गया। वे राजधानी के शाहजहांनाबाद, बागसेवनिया, गांधीनगर व कोतवाली थानों में पदस्थ रहे। वर्तमान में वे भोपाल लोकायुक्त संगठन में पदस्थ हैं।