नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अदालत की निगरानी में राफेल डील की जांच की मांग से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। आॅफसेट साझेदार के मामले पर गोागोई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। शीर्ष अदालत ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है। कोर्ट ने कहा- राफेल की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है। इसमें कारोबारी पक्षपातों जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अनिल अंबानी बोले- आरोप राजनीति से प्रेरित थे
फैसले के बाद रिलायंस डिफेंस के प्रमुख अनिल अंबानी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर अभी तक दाखिल सभी पीआईएल खारिज कर दी हैं। रिलायंस ग्रुप और मेरे खिलाफ जितने भी आरोप लगाए गए सभी आधारहीन और राजनीति से प्रेरित थे।
जांच के लिए दायर हुई थीं कई याचिकाएं
इस मामले में अधिवक्ता एमएल शर्मा, विनीत ढांडा ने याचिका दायर की थी। आप नेता संजय सिंह ने भी याचिका दायर की। तीन याचिकाएं दायर होने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने याचिकाएं दायर की थीं। इसमें कहा गया था कि अदालत सीबीआई को केस दर्ज करने के निर्देश दे।
दोबारा की जा सकती है अपील
याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि कोर्ट ने आॅफसेट पार्टनर चुनने के तरीके को गलत नहीं माना है। उसका कहना है कि आॅफसेट पार्टनर डसॉल्ट ने चुना जबकि रक्षा सौदे में बिना सरकार की सहमति के कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। हम पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं।