इंदौर । लंबे समय से शहर व आवास छोड़कर गए उपभोक्ताओं की बिजली बिल की बकाया राशि अब डूबत खाते में डाली जाएगी। इन्हें ढूंढ़ने अपने स्तर पर कंपनी ने कई प्रयास किए, हर बार असफलता हाथ लगने पर कठोर निर्णय लेना पड़ा। शहर में इस तरह के चार हजार से अधिक उपभोक्ता हैं, जिन पर अलग-अलग रूप में करीब 15 से 20 लाख रुपए बकाया पड़ा है। एक बार फिर उनके ठिकानों तक नोटिस भेजा गया है। अगले माह 15 जनवरी को शिविर लगाकर प्रकरण का निराकरण कर फाइल बंद कर दी जाएगी। बिजली कंपनी प्रतिमाह वृहद स्तर पर वसूली अभियान चलाती है। लोक अदालतों के माध्यम से भी उपभोक्ताओं से राशि वसूलती है। कई बार उपभोक्ता राशि देने में आनाकानी करता है तो उसका कनेक्शन भी काटा जाता है। चोरी की बिजली व रीडिंग से कम खपत आने पर दंडात्मक कार्रवाई में भी संकोच नहीं करता। इसके बावजूद चार हजार उपभोक्ताओं का लापता हो जाना गंभीर घटना है। नए कनेक्शन पर प्रश्नचिह्न-नया बिजली कनेक्शन लेने के लिए उपभोक्ताओं से कंपनी पुराना भरा हुआ बिजली बिल, मकान की रजिस्ट्री आदि दस्तावेज मांगती है। इन दस्तावेजों का परीक्षण करने पर ही ज्ञात हो जाता है कि फलां व्यक्ति मौके पर निवास करता है अथवा नहीं। पुराना बिल बकाया होने के बाद कंपनी ने नया कनेक्शन क्यों दिया, इस पर भी सवालिया निशान लग गए हैं।
अब तक कार्रवाई क्यों नहीं
दो-तीन बिजली बिल बकाया होने पर विजिलेंस के साथ कंपनी का अमला भी उपभोक्ता के घर- प्रतिष्ठान पर धावा बोल देता है। बिल जमा नहीं होने की दशा में कनेक्शन काटने पहुंच जाते हैं। मीटर रीडर भी एरिया के मान से बिल वितरण करता है। इसके बावजूद पिछले पांच साल से शहर में चार हजार बिजली उपभोक्ता गायब होना आश्चर्य की बात है।
बड़ी सांठगांठ उजागर मीटर रीडर हर माह
एक निश्चित तारीख को घर-घर जाकर उपभोक्ताओं को बिजली बिल बांटता है। जब उपभोक्ता घर पर नहीं मिलता तो उसका बिल कंपनी के पास वापस लौटना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि रीडर बिल बांटने के बजाए उसे फेंक देते हैं और कंपनी को धोखे में रखते हैं।