भोपाल। अगर हम आपसे कहें कि जिन पीले रंग के मैजिक वाहनों में नगर निगम कचरा ढोता है, वह सवारी गाड़ियां हैं, तो आपको यकीन नहीं होगा। तो बता दें कि निगम के ये कचरा मैजिक वाहन परिवहन विभाग में सवारी वाहन के रूप में दर्ज हैं। अब सवाल ये है कि ऐसा क्यों किया गया, तो इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है। जबकि अफसरों की इस खामी की वजह से एक वाहन इंश्योरेंस में 11 हजार रुपए निगम को अतिरिक्त चुकाने पड़े हैं। वाहन-एमपी04डीबी1311 नगर निगम का कचरा (मैजिक आॅटो) वाहन है, लेकिन आरटीओ दस्तावेजों में ये पिकअप यानी सवारी वाहन दर्ज है। यही स्थिति निगम के सभी मैजिक वाहनों की है। इसे निगम अफसरों की लापरवाही कहें या गड़बड़ी, लेकिन इससे निगम को सालाना लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बता दें कि निगम के पास वर्तमान में 300 से ज्यादा मैजिक कचरा वाहन हैं। इनमें से 150 बीते दो सालों में स्वच्छता मिशन के तहत शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने को खरीदे गए हैं। जबकि सभी नए-पुराने मैजिक कचरा वाहनों का इंश्योरेंस सवारी वाहन (कॉमर्शियल) कराया गया है।
27 लाख रुपए की बचत होती
दरअसल लोडर वाहन का इंश्योरेंस जहां 6 हजार रुपए में होता है, वहीं पिकअल यानी पैसेंजर वाहन के इंश्योरेंस में लगभग 17 हजार रुपए प्रीमियम राशि चुकानी होती है। ऐसे में निगम के 250 मैजिक वाहनों का बीमा कराने में करीब 42 लाख 50 हजार रुपए प्रीमियम राशि चुकानी पड़ी है। अगर परिवहन विभाग में निगम के मैजिक (कचरा) वाहनों का रजिस्ट्रेशन लोडर कैटेगिरी में होता, तो इन वाहनों का बीमा 15 लाख 50 हजार रुपए में हो जाता।
इंश्योरेंस कंपनी को फायदा पहुंचाया गया
सूत्रों की माने तो कचरा वाहनों का इंश्योरेंस सवारी वाहन कैटेगिरी में कराकर अफसरों ने इंश्योरेंस कंपनी को फायदा पहुंचाया। क्योंकि प्रति वाहन 6 हजार की जगह 11 हजार रुपए प्रीमियम जमा की गई। जबकि टेंडर शर्तों के मुताबिक सबसे कम प्रीमियम लेने वाली कंपनी से इंश्योरेंस कराया जाता है। इसकी शिकायत एमआईसी सदस्य महेश मकवाना ने महापौर से की थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।