नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2019 में देश की ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) ग्रोथ तीन साल में सबसे तेज रह सकती है। देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू किए जाने से बुरा असर पड़ा था, जिससे अब वह बाहर आ रही है। इसका मतलब यह भी है कि लोकसभा चुनाव से पहले आर्थिक मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार को खुशखबरी मिलेगी। वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले साल 6.7 पर्सेंट थी। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स आॅफिस (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2019 के जीडीपी अनुमान का अनुमान सोमवार को जारी किया। इसके मुताबिक, इस वित्त वर्ष में ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) ग्रोथ 7 पर्सेंट रहेगी, जो पिछले साल 6.5 पर्सेंट थी। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष गर्ग ने बताया कि जीडीपी ग्रोथ के अनुमान अच्छे हैं। भारत दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज इकॉनमी बना हुआ है। उन्होंने दावा किया कि इनवेस्टमेंट में भी मजबूत रिकवरी हो रही है। सीएसओ का वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी अनुमान रिजर्व बैंक के 7.4 पर्सेंट के एस्टिमेट से कम है। वहीं, अंतरराष्टÑीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.3 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है। आईएमएफ का कहना है कि अगले साल यह 7.4 पर्सेंट हो जाएगी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी ने कहा, जीडीपी का अग्रिम अनुमान ठीक लग रहा है। वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.6 पर्सेंट रही है। ऐसे में सीएसओ के इस डेटा से दूसरी छमाही में ग्रोथ में सुस्ती का संकेत मिलता है। लिक्विडिटी (कैश) की कमी और क्रूड आॅइल की ऊंची कीमतों से अक्टूबरदिसं बर 2018 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती आने का अंदेशा है। जुलाई-सितंबर 2018 यानी दूसरी तिमाही में भी ग्रोथ अनुमान से कम 7.1 पर्सेंट थी, जबकि अप्रैल-जून 2018 तिमाही में यह 8.2 पर्सेंट रही थी।