नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने गुरुवार देर शाम सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटा दिया। 1979 बैच के आईपीएस अफसर को एजेंसी से हटाने के पीछे भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही जैसे कारण बताए गए हैं। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को 23 अक्टूबर की आधी रात हटाए जाने के केंद्र के फैसले को गलत ठहराते हुए उन्हें बहाल किया था। कोर्ट ने कहा था कि वर्मा पर फैसला अब उच्चाधिकार प्राप्त समिति ही करेगी। एजेंसी के 55 साल के इतिहास में किसी सीबीआई चीफ पर इस तरह की पहली कार्रवाई है। सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ 8 आरोप लगे थे। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ओर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए के सीकरी की समिति को सौंपी गई थी। वर्मा को पद से हटाने का फैसला 2-1 के बहुमत से किया गया। खड़गे इसके विरोध में थे। गुरुवार को हटाए जाने से पहले ही वर्मा ऐक्शन मोड में आए थे। उन्होंने एजेंसी के 5 बड़े अफसरों के ट्रांसफर किए थे।
सीवीसी की रिपोर्ट... मीट कारोबारी को वर्मा ने नहीं बनाने दिया आरोपी