भोपाल । पीएचई के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल तथा उप सचिव नियाज खान के बीच बंद कमरे में हुआ विवाद अब सोशल मीडिया में छाया हुआ है। नियाज खान ने गुरुवार को पांच ट्वीट करके कहा है कि खान होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा है कि उनके नाम के साथ खान उपनाम ने उन्हें भूत की तरह मार डाला है। दो दिन पहले इन दोनों अधिकारियों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ था। विवेक अग्रवाल ने नियाज को अपमानित कर बैठक से गेट आउट कर दिया था। नियाज ने इस मामले में मुख्य सचिव से लिखित शिकायत की है। नियाज ने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि गुना में एसडीएम रहते उन्होंने देश का सबसे बड़ा ओडीएफ घोटाला और सहरिया जनजातियों के खिलाफ होने वाली क्रूरता का पर्दाफाश किया था। इसकी सजा उन्हें लूप लाइन भेजकर की गई है।
अपना दर्द किया बयां
उन्होंने लिखा है कि 17 साल की सरकारी नौकरी में उन्हें 10 जिले में 19 पारियों में भेजा गया। उनके साथ मप्र में उसी तरह व्यवहार किया जा रहा है जैसा जर्मन यहूदियों के साथ किया गया। खान ने लिखा है कि वे अपने साथ हुए व्यवहार के कारण गहरे अवसाद में चले गए थे, लेकिन साहित्य ने उन्हें बचा लिया। वे पांच उपन्यास लिख चुके हैं। अपने छठवें उपन्यास में वे लिखने जा रहे हैं कि मप्र में कैसे मुस्लिम अधिकारियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। यह सब मेरे अनुभव के आधार पर होगा। नियाज खान को फोन लगाकर उनके साथ हुई घटना के बारे में पूछा तो नियाज का कहना था कि मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाए जाने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल फ्रस्टेशन में हैं। यह सारा फ्रस्टेशन हम लोगों पर निकालते हैं। विभाग की टीएल बैठक में एक जानकारी नीचे से आनी थीं जो नहीं आई। इसी बहाने से उन्होंने मुझे गेटआउट बोलकर बैठक से निकाल दिया। इस घटना से व्यथित होकर मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि मैं इस अधिकारी के साथ काम नहीं करूंगा।