जबलपुर। बांघवगढ़ टाइगर रिजर्व में अनूठा आॅपरेशन किया गया। बांधवगढ़ की एक बाघिन अपने शावकों की जान बचाने नर बाघ से हुए संघर्ष में गंभीर रूप से घायल हो गई थी जिसको तो दिन के सर्चिंग के बाद पकड़ा गया तथा जंगल में ही ओटी बनाकर आॅपरेशन करने के बाद तत्काल छोड़ दिया गया। इस आॅपरेशन के बाद बाघिन स्वस्थ है। जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघिन ने कुछ दिन पूर्व 4 शावकों को जन्म दिया था। बाघिन अपने शावकों को साथ जब जंगल में घूम रही थी तभी उस इलाके में एक नर बाघ की दस्तक हुई।
संघर्ष में गहरे जख्म हुए
बताया गया कि नर बाघ ने बाघिन के शावकों को मारने कोशिश की जिसका बाघिन ने तगड़ा विरोध कर अपने शावकों की जान बचा ली। बाघ के साथ हुए संघर्ष में बाघिन को गहरे जख्म आए थे। पार्क प्रबंधन को जब टाइगर फाइटिंग में बाघिन के घायल होने की सूचना मिली तथा उसके गंभीर रूप से घायल होने पर तत्काल रेस्क्यू किया गया।
अस्पताल ले जाना संभव नहीं था
बताया गया कि बाघिन को संघर्ष में गहरे जख्म आए थे । घाव खुले होने के कारण उनमें इफैक्शन हो गया था तथा घाव में कीडे भी आ गए थे। उससे रक्त स्त्राव हो रहा था। इससे जख्म और गहरा होते जाने की आशंका थी। बाघिन को अस्पताल ले जाने के बजाए वहीं पर आॅपरेशन करने की जरूरत महसूस की गई। चिकित्सकों ने जंगल में ही ओपन ओटी बनाई और बाघिन का आॅपरेशन कर घावों को सिल दिया गया। कुछ ही देर में बाघिन के शरीर में हलचल बढ़ गई तो उसे छोड़ दिया गया तथा वह शावकों के पास पहुंच गई। हालाकि वन अमला बाघिन पर दूर से नजर रखे हुए है।
दो दिन बाद मिली बाघिन
जख्मी बाघिन को खोजने के लिए चलाए गए रेस्क्यू आॅपरेशन दो दिन चला । जख्मी बाघिन छिप कर रह रही थी। काफी कठिनाई के बाद उसकी लोकशन मिली थी। बाघिन के घाव सिलने के बाद उसे तत्काल छोड़ दिया गया था। फिलहाल बाघिन एवं बाघ के शावकों की सुरक्षा के इंतजाम किए गए है।