’भोपाल । नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) द्वारा पुनासा, मनावर सिसलिया तालाबों के साथ निर्मित कराई गई नहरों के दोनों तरफ 30 मीटर के दायरे में पौधरोपण कराने के लिए डीपीआर में करोड़ों की राशि का प्रावधान किया गया, लेकिन जिन ठेकेदारों को टर्न-की के आधार पर ठेके दिए गए थे, उन्होंने पौधरोपण नहीं कराया। इसके बावजूद विभाग ने करोड़ों का भुगतान कर दिया। यहां तक ठेकेदारों द्वारा मोबिलाइजेशन एवं उपकरण अग्रिम लेने के बाद उनसे वसूली नहीं की गई, वहीं अपूर्ण कार्यों के बावजूद पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर देने से ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। इस मामले की जांच कराई गई तो पता चला कि ठेकेदार ने काम ही पूरा नहीं किया, लेकिन इंजीनियरों ने मिलीभगत के चलते ठेकेदारों को अनुचित फायदा पहुंचाया गया। एनवीडीए द्वारा दिए गए ज्यादातर ठेकों का काम अब टर्न-की आधार पर ही दिया जा रहा है। टर्न-की अनुबंध में यह शर्त है कि ठेकेदार को संपूर्ण नहर एवं वितरिकओं के समांतर दोनों तरफ 30 मीटर के अंतराल से छायादार पौधे का रोपण करना है। पौधों के लिए कैटल-गार्ड लगाना, खाद व रोज पानी देना और जीवित रखना होगा। यदि कोई वृक्ष क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाता है तो ठेकेदार को इसे नए पौधे से बदलना एवं इन पौधों को ठेके की त्रुटि दायित्व अवधि तक संधारित करना होगा। यह शर्त ठेकेदार द्वारा नहरों और वितरिका नहरों के ठेका लागत में शामिल की गई है। डीपीआर 2009 में पौधारोपण कार्य के लिए लगभग 70 से 80 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया था। सीएजी द्वारा उठाई गई आपत्ति के बाद जनवरी 2018 में एनवीडीए ने बताया कि पौधारोपण का कार्य पहले शुरू किया गया था, किन्तु निर्माण कार्यों के कारण पूर्ण नहीं किया जा सका। एनवीडीए ने तर्क दिया कि कॉमन वाटर कैरियर एवं मुख्य नहरों में जहां जगह उपलब्ध थी, कुछ पौधारोपण कार्य किया है, जबकि जांच में 90 % स्थानों पर पौधरोपण का कार्य कराया ही नहीं गया।
लाइनिंग में लगाया 3 करोड़ का चूना
नहरों की लाइनिंग में पानी प्रवाह के लिए 3 क्यूमेक तक प्रवाह के लिए 225 मिमी, तीन क्यूमेक से ज्यादा प्रवाह के लिए 350 मिमी और 10 क्यूमेक से ज्यादा प्रवाह के लिए 550 मिमी से कम नहीं होनी चाहिए, लेकिन कम चौड़ाई में कोपिंग का काम करने से सरकार को 3.8 करोड़ रन. की चपत लगाने के बाद भी पूरा भुगतान कर दिया गया।