नई दिल्ली। सीबीआई केस में आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके पटनायक ने एक टीवी चैनल से कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई साक्ष्य नहीं हैं। जस्टिस पटनायक ने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा आलोक वर्मा को हटाना बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सीवीसी के निष्कर्ष मेरे नहीं हैं। गौरतलब है कि आलोक वर्मा के खिलाफ जांच पूरी तरह से सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की शिकायत पर आधारित थी। आलोक वर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा कथित भ्रष्टाचार की जांच की निगरानी जिम्मा एके पटनायक को ही सौंपा गया था। दरअसल, गुरुवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में सेलेक्शन कमेटी ने 2-1 के फैसले से आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया था। हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले का विरोध किया, वहीं सीजेआई रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर कमेटी में शामिल जस्टिस सिकरी ने पीएम मोदी के निर्णय का समर्थन किया था। आलोक वर्मा को अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स निदेशक नियुक्त किया, जिसे लेने से उन्होंने इनकार कर दिया और इस्तीफा दे दिया।
वर्मा पर नीरव, माल्या की मदद का आरोप
सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा की परेशानी जल्द खत्म होने का नाम नहीं लेने वाली हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने उनके खिलाफ 6 आरोपों को लेकर जांच शुरू कर दी है। जिसमें बैंकों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले आरोपी नीरव मोदी, विजय माल्या और एयरसेल के पूर्व प्रमोटर सी शिवशंकरन के खिलाफ जारी हुए लुक आउट सर्कुलर के आंतरिक ईमेल को लीक करने का आरोप भी शामिल है।
सीवीसी ने सीबीआई को लिखा पत्र
सीवीसी के एक सूत्र का कहना है कि सीबीआई को 26 दिसंबर को एक पत्र लिखकर कहा गया है कि वह इन मामलों से संबंधित सभी दस्तावेज और फाइलों को मुहैया करवाए ताकि यह जांच किसी तार्किक निष्कर्ष तक पहुंच सके। जांच एजेंसी ने बदले में माल्या से जुड़े सभी दस्तावेज पेश कर दिए जबकि दूसरे अभी रुके हुए हैं।
पहले आलोक वर्मा की नियुक्ति हो, उसके बाद जांच
कांग्रेस कांग्रेस ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक के बयान संबंधी खबरों को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा गया कि वर्मा को फिर से पद पर नियुक्त किया जाए और फिर उच्च स्तरीय समिति उनके खिलाफ आरोपों की जांच करे। पार्टी ने यह भी सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार भयभीत नजर आ रही है?