लखनऊ। सपा और बसपा लोकसभा चुनाव में यूपी की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को संयुक्त प्रेस वार्ता में गठबंधन का ऐलान किया। मायावती ने कहा कि अमेठी (राहुल की सीट) और रायबरेली (सोनिया की सीट) को हमने कांग्रेस से गठबंधन किए बिना ही उसके लिए छोड़ दिया है ताकि भाजपा के लोग कांग्रेस अध्यक्ष को यहीं उलझाकर ना रख सकें। शेष दो सीटों पर अन्य छोटी पार्टियों को मौका देंगे। मायावती ने कहा- ‘कांग्रेस से गठबंधन करके हमें फायदा नहीं मिलता, बल्कि कांग्रेस को हमारे वोट ट्रांसफर हो जाते हैं। हमारा वोट प्रतिशत घट जाता है।’ इससे पहले सपा-बसपा ने 1993 में गठबंधन किया था। दो साल सरकार भी चलाई।
दोबारा गठबंधन पर माया बोलीं- इस बार लंबा चलेगा
मायावती ने कहा- गेस्ट हाउस कांड को किनारे करके देशहित और जनहित में हम सपा से गठबंधन कर रहे हैं। इस बार यह गठबंधन लंबा चलेगा। जब उत्तर प्रदेश के वधानसभा चुनाव होंगे, तब भी यह कायम रहेगा।
पीएम के लिए माया को समर्थन पर अखिलेश का गोलमोल जवाब
क्या बतौर प्रधानमंत्री मायावती को समर्थन देंगे। इस सवाल पर अखिलेश ने कहा- ‘आपको पता है कि मैं किसे सपोर्ट करूंगा। उत्तर प्रदेश ने हमेशा प्रधानमंत्री दिया है। आगे भी ऐसा ही होगा।’ इस दौरान माया मुस्कुरा रही थीं।
1993 में साथ आए थे सपा बसपा, दो साल चली सरकार
मुलायम सिंह यादव ने 1992 में सपा का गठन किया था। 1993 में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ। तब कांशीराम बसपा प्रमुख थे। उस समय सपा 256 और बसपा 164 विधानभा सीटों पर चुनाव लड़ी। सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिलीं। लेकिन इसी दौरान 2 जून 1995 को गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूट गया
गेस्ट हाउस कांड...
जिसके बाद माया भाजपा से जा मिलीं 1993 में मुलायम सिंह के सीएम बनने के बाद सपा को पता चला कि बसपा समर्थन वापस ले सकती है। 2 जून 1995 को माया अपने विधायकों के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में बैठक कर रही थीं। इसी बीच सपा के लोग वहां पहुंचे। मायावती, उनके विधायकों को पीटा गया। माया ने समर्थन वापस लिया और भाजपा के साथ मिलकर सीएम बन गर्इं।