भोपाल। कॉलेज के विद्यार्थियों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर स्मार्ट बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बांटे गए मोबाइल उन्हें स्मार्ट नहीं बना पाए। यह मोबाइल कहीं दादा-दादी के पास नॉर्मल कॉलिंग के लिए रख दिए गए हैं, या फिर कबाड़ होकर किसी रिपेयरिंग शॉप के डस्टबिन में पड़े हैं। इन मोबाइलों में न मेमोरी है और न ही बैटरी बैकअप। ऐप डाउनलोड करने पर यह हैंग हो जाते हैं। छात्रों का कहना है कि 4जीबी रैम का कहकर दिए गए इन मोबाइलों में मात्र एक जीबी रैम है। उच्च शिक्षा विभाग ने 3 सालों में एक अरब रुपए के करीब 4.20 लाख मोबाइल आवंटित किए हैं। 2014-15 सत्र से सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में स्कीम के तहत स्मार्ट मोबाइल का आवंटन किया गया है। 2014-15 और 2015-16 सत्र में 3.10 लाख मोबाइल आवंटित किए गए हैं। इसमें 75 फीसदी दम तोड़ चुके हैं।
‘लावा’ का मोबाइल देना था, दिया ‘फोर स्टार’
सत्र 2014-15 और 2015-16 में विभाग ने लावा कंपनी का मोबाइल 2,400 रुपए में खरीदकर आवंटित करना शुरू किया था। इसके बाद विभाग ने फोर स्टार कंपनी के मोबाइल को 2,199 रुपए में ओके किया। वर्तमान में 2016-17 सत्र के प्रवेशित विद्यार्थियों में मोबाइल आवंटित किए जा रहे हैं। 2017-18 सत्र में भी फोर स्टार मोबाइल का ही आवंटन हुआ। इसके बाद विभाग दो सत्रों के लिए नए कंपनी मोबाइल के टेंडर बुलाएगा।