भोपाल। प्रदेश में सरकारी स्कूलों में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर की शिक्षा का स्तर आज भी दयनीय बना हुआ है। पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले 81 फीसदी बच्चे दूसरी के सवाल हल नहीं कर पाते हैं। इसी तरह इस वर्ष आठवीं को बोर्ड करने की चर्चाओं के मद्देनजर दो साल मात्र 3 फीसदी सुधार हुआ है, फिर भी केवल 36 फीसदी स्टूडेंट्स ही एक अंक का भाग कर पाने में सक्षम पाए गए हैं। यह खुलासा एन्युअल स्टेटस आॅफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर- 2018) में हुआ है। असर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए सर्वे की रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है। सर्वे के लिए प्रदेश के 50 जिलों तक पहुंची असर की टीम असर द्वारा 2017 में ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ के तहत 14 से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों की उन तैयारियों का जायजा लिया गया था, जो उन्हें एक उपयोगी और उत्पादक वयस्क के रूप में तैयार करती हैं। असर 2018 एक बार फिर ग्रामीण भारत में 3 से 16 वर्ष के बच्चों के स्कूल में नामांकन और 5 से 16 वर्ष के बच्चों की पढ़ने व गणित करने की बुनियादी क्षमताओं पर केन्द्रित रही है। 2018 में असर सर्वे के तहत ग्रामीण देश के 15,998 सरकारी स्कूलों का अवलोकन किया गया। जबकि असर की टीम मध्यप्रदेश के क्षेत्रों के 50 जिलों तक पहुंची। इसमें कुल 29,961 घरों और 3 से 16 वर्ष के 48,791 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया,।
बोर्ड के भय से आठवीं के गणित में तीन फीसदी सुधागत वर्ष प्रदेश में साल भर आठवीं को बोर्ड करने अफवाहें उड़ती रही हैं। इसके चलते कक्षा आठवीं के बच्चों की गणित के सवाल हल करने की क्षमता में 3 फीसदी इजाफा हुआ है। इसके बावजूद बहुत कम है। कक्षा 8 में 3 अंकों के भाग के सवालों को सही-सही हल कर पाने वाले बच्चों की संख्या 2016 में 33.4 फीसदी थी, जो 2018 में बढ़कर 36.6 हो गई है। इसी तरह घटाने के सवालों में हल कर पाने में कक्षा तीसरी कक्षा के बच्चों की संख्या 2016 में ऐसे बच्चों की संख्या जहां 13.8 प्रतिशत थी, जो 2018 में यह 13.9 प्रतिशत है। वहीं भाग के सवाल हल कर पाने में कक्षा 5 के बच्चों का प्रतिशत 2016 में 19.4 प्रतिशत था, जो 2018 में यह 19.8 प्रतिशत हो गया।