भोपाल । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि ई- टेंडर घोटाले की जांच पूरी तरह से कराई जाएगी, लेकिन इसमें दिल्ली की एक संस्था सीईआरटी की तरफ से रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि व्यापमं का नाम कलंकित हो गया है। अब नहीं चाहते इसका नाम रहे। इस संस्थान का नाम परिवर्तन करने के साथ ही व्यवस्था भी बदली जाएगी। गुजरात, महाराष्ट्र और उड़ीसा में पोर्ट होने की वजह से वहां बेराजेगारी की ज्यादा समस्या नहीं है, लेकिन मप्र में है और इस पर विचार करने तथा रणनीति बनाने के लिए मैं 18 दिन आॅफिस में बैठकर इसकी रणनीति बनाने में लगा रहा कि कैसे निवेश लाया जाए। इस मामले में मैंने बडेÞ उद्योगपतियों से फोन पर भी बात की है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि इस मामले की जांच पूरी की जाएगी। इस संबंध में दिल्ली से कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) की रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि इस वजह से शक तो हो रहा है। यह संस्था सात माह से रिपोर्ट नहीं दे रही है। इसलिए अब उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से कहा है कि वे दिल्ली जाकर डेरा डालें और रिपोर्ट लाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि बाजारों में रौनक तभी होगी जब किसानों की क्रय शक्ति मजबूत हो। उन्होंने कहा कि किसान कर्ज में जन्म लेता है। कर्ज में जीता और कर्ज में उसका अंत होता है। यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मप्र को निवेश के क्षेत्र में एक प्रतियोगी राज्य बनना है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश का भौगोलिक लाभ नहीं मिला है, इसलिए प्रदेश की अपनी नीति बनाना होगा।
पांच साल बाद दूंगा जनता को हिसाब
मुख्यमंत्री ने ने कहा कि भाजपाई इस योजना की अलोचना करेंगे और कहेंगे पैसा कहां से आएगा। कोई कहता है कि यह सरकार 15 दिन तक चलेगी, लेकिन मैं पांच साल बाद मैं मप्र की जनता को हिसाब दूंगा। मैंने तो मोदी से भी कहा था कि उन्हें भी अपने पांच साल के कार्यकाल का हिसाब जनता को देना चाहिए। भाजपा के लोग दूसरों को सीख देने के बयान तो देते हैं, लेकिन उन्हें पहले अपने घर की चिंता करनी चाहिए।