भोपाल। वर्षों से केबिन में फाइलें निपटाने वाले हेडमास्टर अब शिक्षक बनकर क्लासरूम में पढ़ाते नजर आएंगे। इनके स्कूलों का नियंत्रण अब परिसर में स्थित सबसे बड़े स्कूल के पास होगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए यह नया तरीका निकाला है। इस प्रक्रिया के तहत राजधानी के 300 और प्रदेश के लगभग 22 हजार स्कूलों को मर्ज किया जाएगा। अभी एक परिसर में चल रहे स्कूलों में यह व्यवस्था लागू की गई है। अगले सत्र से 5 किमी के दायरे में आने वाले लगभग 70 हजार स्कूल मर्ज किए जा सकते हैं। दरअसल अतिशेष शिक्षकों का बेहतर उपयोग करने, विषयवार शिक्षकों की उपयोगिता, शालाओं में उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग और पढ़ाई-लिखाई पर प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से एक परिसर-एक शाला अवधारणा को लागू किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के बाद सभी स्कूलों को नियमित प्राचार्य मिल जाएंगे।
इस व्यवस्था से होंगे ये बदलाव
* सारे अधिकार परिसर स्थित सबसे बड़ी शाला के प्राचार्य के पास होंगे।
* बजट का एकीकरण होगा, इससे व्यवस्थाएं बनाने में सहूलियत होगी।
* प्रधानाध्यापक रहे शिक्षक विषय विशेषज्ञ के रूप में छात्रों को मिलेंगे।
* पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के टाइम-टेबल एक साथ तय होंगे।
* प्रधानाध्यापकों के वेतन और पद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, सिर्फ उनका काम बदल जाएगा।
* प्रारंभिक रूप से पूर्व में पदस्थ शिक्षकों का तबादला नहीं होगा।
8वीं के सिर्फ 36% बच्चे भाग करने में सक्षम
5वीं के छात्र नहीं हल कर पाते दूसरी के सवाल प्रदेश में पांचवीं कक्षा के 81 फीसदी बच्चे दूसरी क्लास के सवाल हल नहीं कर पाते। आठवीं के छात्रों में 3 फीसदी सुधार हुआ है, फिर भी 36 फीसदी छात्र ही एक अंक का भाग कर पाते हैं। यह खुलासा एन्युअल स्टेटस आॅफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर- 2018) में हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है।