ग्वालियर। अमृत योजना के कार्यों में भष्टÑाचार को लेकर निगम परिषद में विपक्ष ने जांच कराने की मांग पर हंगामा कर एजेंडे पर चर्चा नहीं होने दी। साथ ही बहसबाजी के बीच 4 बार विपक्ष ने, तो महापौर को चोर कहने पर एक बार सत्ता पक्ष ने आसंदी घेर विरोध जताया। वहीं गुस्साए महापौर ने भी नेता प्रतिपक्ष को पूरे मामले में जांच करने के लिए अधिकृत कर रिपोर्ट देने को कहा। जलविहार में आयोजित निगम परिषद की बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने अमृत कार्यों में गड़बड़ी व अनदेखी पर विरोध शुरू कर दिया। हालात यह बने कि नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित ने अमृत कार्यों पर कहा कि पार्षदों को डीएम तथा लेआउट तक की जानकारी नहीं दी गई है, कैसे पार्षद आम जनता को कार्यों की जानकारी दें। क्योंकि एडीबी योजना की तरह अमृत योजना में भी मनमानी के काम हो रहे हंै और पार्षदों को क्षेत्र में होने वाले कार्यों की जानकारी नहीं दी जा रही है। जिस पर जवाब देते हुए महापौर विवेक शेजवलकर ने कहा कि विपक्ष केवल परिषद में हो-हल्ला मचाकर प्रताड़ित करना चाहता है। यदि वह समझना चाहता है, तो ठंडे दिमाग से अधिकारियों के साथ बैठकर जानकारी ले। यदि इसके बाद भी जानकारी नहीं मिली तो परिषद में अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही होगी। जिस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि धारा 127 में कई बार जानकारी के लिए पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन निगम से कोई जानकारी नहीं मिल रही है। विरोध के चलते पार्षद विकास जैन ने कहा कि एडीबी की 70 प्रतिशत लाइनें बिना डले ही रह गई थी और अब अधिकारी अमृत योजना जानकारी देते ही नहीं है। अमृत पर बहस देख परिषद गेट से लौटे निगमायुक्त जब निगम परिषद में अमृत योजना पर जोरदार बहस हो रही थी, तो निगमायुक्त विनोद शर्मा मुख्य गेट तक आए और उन्होंने मौके की स्थिति को ताड़ तत्काल पलटी मार कर वापसी डाल दी। इसके बाद वे पूरी परिषद के दौरान बैठक में नहीं पहुंचे। चतुर्भज धनौलिया से किया जातिगत तंज उपनेता प्रतिपक्ष चतुर्भुज धनौलिया की परिषद से बाहर निकलते ही अमृत योजना के सीवर नोडल अधिकारी आरके शुक्ला से बहसबाजी हो गई और निगम अधिकारी ने पार्षद पर जातिगत तंज कर दिया, जिसका सभी पार्षदों ने एक होकर विरोध कर दिया है।
पार्षद चंदू सेन ने कहा मेयर को चोर
अमृत कार्यों को लेकर अखबारों में छप रही खबरें गलत होने पर पार्षद चंदू सेन ने एफआईआर न करवाने की बात पर महापौर को चोर कह दिया। इस पर सत्तापक्ष में उबाल आ गया और उन्होंने आसंदी घेर कर बिना तथ्यों के आरोप लगाने पर माफी की मांग की। हालांकि इसके बाद सभापति ने परिषद कार्यवाही से चोर शब्द को चिलोपित करवा दिया।