भोपाल । ‘‘साहब, मेरी नौकरी तो आईटीआई में चपरासी की है और मेरी तनख्वाह 28 हजार रुपए महीना है, लेकिन एडीशनल डायरेक्टर अग्रवाल साहब के घर पर बीते चार साल से झाडू-पोछा के अलावा कपडे धोने और बर्तन मांजने का काम सुबह से देर रात तक कर रही हूं। मेरी तनख्वाह ज्वाइंट डायरेक्टर सेेंगर साहब और आईटीआई के प्रिंसपल आस्टिन साहब मेरे खाते में हर महीने जमा करवा देते हैं।’’ यह कहना है आदर्श आईटीआई, गोविंदपुरा की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्रीमती रीना भारती का, जोकि मानव अधिकार आयोग में सोमवार को गुहार लगाने पहुंची थी। श्रीमती भारती ने बताया कि बैतूल से ट्रांसफर होकर आने के बाद 2010 से आईटीआई गोविंदपुरा में पोस्टिंग हैं और वहीं स्टॉप कॉलोनी में उनको आवास भी मिला है। शुरु-शुरु में कुछ दिन तो रीना भारती ने आईटीआई में अपनी ड्यूटी की, लेकिन बाद में उसको चौका-बर्तन करवाने बडेÞ साहब यानि जीएन अग्रवाल के घर पहुंचने का फरमान सुना दिया गया। ज्वाइंट डायरेक्टर सेंगर ने भेजा: ज्वाइंट डायरेक्टर सेंगर ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रीना भारती को इसी कॉलोनी में तकनीकी शिक्षा के तहत कौशल विकास में एडीशनल डायरेक्टर जीएन अग्रवाल के क्वार्टर पर जाकर घर का काम करने का हुक्म दिया। इस पर रीना ने विरोध किया तो सेंगर ने समझाया कि अभी कुछ दिन घर का काम संभाल लो, फिर काम वाली बाई रख लेंगे तो वापस आॅफिस आ जाना। हालांकि चार साल बाद भी रीना भारती की वापसी अपने मूल कार्यस्थल पर नहीं हो सकी।
सब ने हाथ खडे कर दिए
साल-दर-साल आॅफिस के बजाय घर में चौका-बर्तन करने के बाद भी साहब की मैडम की बदसलूकी से प्रताड़ित होने पर महिला कर्मचारी ने आईटीआई के प्रिंसपल आरके आॅस्टिन, ज्वाइंट डायरेक्टर सेंगर, सुनील देसाई से लेकर कर्मचारी नेता गिरीश तिवारी तक से गुहार लगाई। बावजूद सारे अधिकारियों ने यह कहते हाथ खडे कर दिए कि, अग्रवाल साहब तो एडीशनल डायरेक्टर हैं, तो उनसे कोई पंगा नहीं ले सकता। तुमको तो घर में झाडू-पोछा करते रहना होगा।
नहीं उठा रहे फोन
इस बारे में बात करने के लिए एडीशनल डायरेक्टर कौशल विकास जीएन अग्रवाल, ज्वाइंट डायरेक्टर सेंगर, प्रिंसपल आरके आॅस्टिन को कई बार फोन लगाए गए, लेकिन बात नहीं हो सकी।